Saturday, January 9, 2010

मुझे भी कुछ कहना है !



मैं दो बच्चों की माँ हूँ . बच्चों की परवरिश के दौरान मैंने भी वो सारी कठिनाइयाँ उठाई है .उन सारे तनावों का सामना किया जो कमाऊ माएँ कराती है .मैं कोलेज में पढ़ाती थी और मेरा अपना बड़ा बच्चा ढंग से नहीं पढ़ता था .स्कूल का नाम लेते ही उसके पेट में दर्द शुरू होता था .एक बार उसने पूरा पेपर खाली छोड़ दिया .वजह पूछने पर बताया ,वह खिड़की के पास बैठा था .पेड़ की टहनी खिड़की के पास थी .उस टहनी पर एक बड़ी चिड़िया छोटी चिड़िया के ऊपर बैठ गयी थी .बेचारी वो छोटीवाली मर जाती ना ! इसलिए पूरा वक्त वो उसे वहां से हकाल रहा था .मैंने आराम से सुन लिया .उसे बताया " बेटा ! तुम्हे तो ३० में से दो मार्क मिले है .तुमने एक प्रश्न और उसका उत्तर सही लिखा .congrats ! "मैं जानती थी उस वक्त वो जो कुछ पढ़ रहा है उस से ज्यादा चिड़िया ,पेड़ ,वातावरण देखना जरुरी है .मेरी सहेलिया मुझे टोकती थी ,उनका मानना था अगर बचपन से सही तरह पढाई का महत्त्व नहीं बताया तो बच्चे हाथ से निकल जायेंगे .जब वो ५ वी कक्षा में गया मैंने नौकरी छोड़ दी और पूरा ध्यान बच्चों पर दिया .उन्हें बेहतरीन किताबों से रूबरू किया अच्छे नाटक दिखाए .सब्जी लाना ,बिल भरना बैंक में जाना,छुट्टियों में रिश्तेदारों में घुल मिल कर रहना ये सारी बातें सिखाई .आज बड़ा बेटा अच्छी नौकरी करता है .छोटा वाला इंजिनीअरिंग पढ़ रहा है .आज वो उन पर आये सारे तनाव आराम से झेल सकते हैं .

3 comments:

  1. Sunder ! tumhala he sagala suchata kasa ? ....(vaise muzhe bhi dusara bachha (On 5 Dec'09) ho gaya hai !)

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  2. anil, tumhi dekhil apalyala je vatate te asech mandat ja! khup chhan vatate.

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  3. बच्चों को पढ़ाने का तरीका जरुरी है. मैं कहता हूँ सभी परेंट्स को तारें जमीं पर मूवी जरुर देखनी चाहिए,

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